ये शाम नहीं मंत्र मुग्ध करते लम्हों की कशिश है। ये शाम नहीं मंत्र मुग्ध करते लम्हों की कशिश है।
सुबह की भोर वो सूरज की बाँहों में हम घिरे महकती जुल्फों में तुम हमारे उलझे। सुबह की भोर वो सूरज की बाँहों में हम घिरे महकती जुल्फों में तुम हमारे उलझे।
मानव जीवन में गलती मानव जीवन में गलती
जिस को प्रेम कहूँ या चाहत, सोचो क्या नाम दूं तेरा। जिस को प्रेम कहूँ या चाहत, सोचो क्या नाम दूं तेरा।
आईने से भी रहते मायूस तबसे हैं हम। आईने से भी रहते मायूस तबसे हैं हम।
भले बटुआ खाली हो जाये पर दिल में प्यार आ रहा है। भले बटुआ खाली हो जाये पर दिल में प्यार आ रहा है।